भारतीय स्वतंत्रता संग्राम
प्राचीन समय से ही विदेशी हमलावर हमेशा भारत आने को उत्सुक रहे हैं, फिर चाहे वो आर्य, फारसी, ईरानी, मुगल, चंगेज खान, मंगोलियाई या सिकंदर ही क्यों ना हों। अपनी समृद्धि और खुशहाली के कारण भारत हमेशा से आक्रमणकारियों और शासकों की रुचि का कारण रहा।
भारत की आजादी का इतिहास
1757 में पलासी के युद्ध के बाद ब्रिटिश भारत में राजनीतिक सत्ता जीत गए और यही वो समय था जब अंग्रेज भारत आए और करीब 200 साल तक राज किया। 1848 में लाॅर्ड डलहौजी के कार्यकाल के दौरान यहां उनका शासन स्थापित हुआ। उत्तर-पश्चिमी भारत अंग्रेजों के निशाने पर सबसे पहले रहा और 1856 तक उन्होंने अपना मजबूत अधिकार स्थापित कर लिया। 19वीं सदी में अंग्रेजों ने अपने शासन में सबसे उंचाई को छुआ।
नाराज़ और असंतुष्ट स्थानीय शासकों, किसानों और बेरोजगार सैनिकों ने विद्रोह कर दिया जिसे आमतौर पर ‘1857 का विद्रोह’ या ‘1857 के गदर’ के तौर पर जाना जाता है।
नाराज़ और असंतुष्ट स्थानीय शासकों, किसानों और बेरोजगार सैनिकों ने विद्रोह कर दिया जिसे आमतौर पर ‘1857 का विद्रोह’ या ‘1857 के गदर’ के तौर पर जाना जाता है।
1857 का विद्रोह
यह गदर मेरठ में बेरोजगार सैनिकों के विद्रोह से शुरु हुआ। उनकी बेरोजगारी का कारण वो नई कारतूस थी जो नई एनफील्ड राइफल में लगती थी। इन कारतूसों में गाय और सूअर की चर्बी से बना ग्रीस था जिसे सैनिक को राइफल इस्तेमाल करने की सूरत में मुंह से हटाना होता था। यह हिंदू और मुस्लिम दोनों ही धर्मों के सैनिकों को धार्मिक कारणों से मंजूर नहीं था और उन्होंने इसे इस्तेमाल करने से मना कर दिया था जिसके चलते वो बेरोजगार हो गए।
जल्दी ही यह विद्रोह फैल गया खासकर दिल्ली और उसके आसपास के राज्यों में, लेकिन यह विद्रोह असफल रहा और अंग्रेजों की सेना ने इसका जवाब लूट और हत्याएं करके दिया जिसके चलते लोग निराश हो गए। इस विद्रोह ने दिल्ली, अवध, रोहिलखंड, बुं देलखंड, इलाहाबाद, आगरा, मेरठ और पश्चिमी बिहार को सबसे ज्यादा प्रभावित किया और यहां सबसे क्रूर लड़ाइयां लड़ी गईं। हालांकि तब भी 1857 का विद्रोह असफल कहलाया और एक साल के भीतर ही खत्म हो गया।
जल्दी ही यह विद्रोह फैल गया खासकर दिल्ली और उसके आसपास के राज्यों में, लेकिन यह विद्रोह असफल रहा और अंग्रेजों की सेना ने इसका जवाब लूट और हत्याएं करके दिया जिसके चलते लोग निराश हो गए। इस विद्रोह ने दिल्ली, अवध, रोहिलखंड, बुं देलखंड, इलाहाबाद, आगरा, मेरठ और पश्चिमी बिहार को सबसे ज्यादा प्रभावित किया और यहां सबसे क्रूर लड़ाइयां लड़ी गईं। हालांकि तब भी 1857 का विद्रोह असफल कहलाया और एक साल के भीतर ही खत्म हो गया।
1857 के विद्रोह के बाद
एक साल में ही अंग्रेजों ने 1857 के विद्रोह पर काबू पा लिया था और इस समय ईस्ट इंडिया कंपनी का अंत हुआ और कई नई नीतियों के साथ ब्रिटिश सरकार का उदय हुआ। महारानी विक्टोरिया को भारत की साम्राज्ञी के तौर पर घोषित किया गया।
राजा राम मोहन राय, बंकिम चंद्र और ईश्वर चंद्र विद्यासागर जैसे सुधारक पटल पर उभरे और उन्होंने भारतीयों के हक की लड़ाई लड़ी। उनका प्रमुख लक्ष्य एकजुट होकर विदेशी शासन के खिलाफ लड़ना था।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अस्तित्व में आई
1876 में सुरेन्द्र नाथ बैनर्जी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना की। इसका मुख्य लक्ष्य मध्यमवर्गीय शिक्षित नागरिकों के विचारों को आगे रखना था। 1906 में कलकत्ता में कांग्रेस के अधिवेशन में ’स्वराज’ की प्राप्ति की घोषणा की गई और इस तरह ‘स्वदेशी आंदोलन’ शुरु हुआ।
1905 में पश्चिम बंगाल का विभाजन हुआ और देश की राजधानी कलकत्ता से बदलकर दिल्ली कर दी गई।
इसके साथ ही ब्रिटिश सरकार भी भारतीयों के प्रयासों के विरोध में तैयारी कर रही थी जिसके नतीजतन 1909 में कई सुधारों को लागू किया गया। इन्हें मार्ले-मिंटो सुधारों के तौर पर जाना जाता है, जिनका लक्ष्य विकास करने की जगह हिंदू और मुस्लिमों में मतभेद पैदा करना था।
जहां एक ओर सुधारवादी और क्रांतिकारी योजनाएं बना रहे थे और काम कर रहे थे वहीं दूसरी ओर पंजाब में जलियांवाला बाग नरसंहार हुआ, जहां बैसाखी मनाने के लिए लोग इकट्ठे हुए थे।
1905 में पश्चिम बंगाल का विभाजन हुआ और देश की राजधानी कलकत्ता से बदलकर दिल्ली कर दी गई।
इसके साथ ही ब्रिटिश सरकार भी भारतीयों के प्रयासों के विरोध में तैयारी कर रही थी जिसके नतीजतन 1909 में कई सुधारों को लागू किया गया। इन्हें मार्ले-मिंटो सुधारों के तौर पर जाना जाता है, जिनका लक्ष्य विकास करने की जगह हिंदू और मुस्लिमों में मतभेद पैदा करना था।
जहां एक ओर सुधारवादी और क्रांतिकारी योजनाएं बना रहे थे और काम कर रहे थे वहीं दूसरी ओर पंजाब में जलियांवाला बाग नरसंहार हुआ, जहां बैसाखी मनाने के लिए लोग इकट्ठे हुए थे।
स्वतंत्रता संग्राम में गांधीजी का योगदान
1914-1918 के प्रथम विश्व युद्ध के बाद महात्मा गांधी भारत लौटे और देश की हालत समझकर अहिंसक आंदोलन ‘सत्याग्रह’ के तौर पर शुरु किया।
असहयोग आंदोलन
ब्रिटिश सरकार द्वारा निष्पक्ष व्यवहार ना होता देख 1920 में महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन शुरु किया। यह आंदोलन 1922 तक चला और सफल रहा।
साइमन कमीशन
असहयोग आंदोलन के खत्म होने के तुरंत बाद भारत की सरकार में नया कमीशन बनाया गया जिसमें सुधारों में किसी भारतीय सदस्य को शामिल नहीं किया गया और ‘स्वराज’ की मांग को भी मानने का कोई इरादा नहीं था। लाला लाजपत राय के नेतृत्व में कई बड़े प्रदर्शन किए गए।
नागरिक अवज्ञा आंदोलन
दिसंबर 1929 में नागरिक अवज्ञा आंदोलन शुरु किया गया, जिसका लक्ष्य ब्रिटिश सरकार को पूरी तरह अनदेखा करना और अवज्ञा करना था। इस आंदोलन के दौरान ही भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को गिरफ्तार कर फांसी दी गई।
भारत छोड़ो आंदोलन
अगस्त 1942 में गांधीजी ने इस आंदोलन को शुरु किया। इसका लक्ष्य ब्रिटिश शासन से पूरी तरह आज़ादी हासिल करना था और यह ‘करो या मरो’ की स्थिति के रुप में सामने आया। तोड़फोड़ और हिंसक घटनाओं की कई वारदातें सामने आईं। अंत में सुभाष चंद्र बोस ब्रिटिश हिरासत से भाग गए और इंडियन नेशनल आर्मी का गठन किया। अगस्त 1947 में भारत को शासकों, क्रांतिकारियों और उस समय के नागरिकों की कड़ी मेहनत, त्याग और निस्वार्थता के बाद स्वतंत्रता हासिल हुई।
असहयोग आंदोलन
ब्रिटिश सरकार द्वारा निष्पक्ष व्यवहार ना होता देख 1920 में महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन शुरु किया। यह आंदोलन 1922 तक चला और सफल रहा।
साइमन कमीशन
असहयोग आंदोलन के खत्म होने के तुरंत बाद भारत की सरकार में नया कमीशन बनाया गया जिसमें सुधारों में किसी भारतीय सदस्य को शामिल नहीं किया गया और ‘स्वराज’ की मांग को भी मानने का कोई इरादा नहीं था। लाला लाजपत राय के नेतृत्व में कई बड़े प्रदर्शन किए गए।
नागरिक अवज्ञा आंदोलन
दिसंबर 1929 में नागरिक अवज्ञा आंदोलन शुरु किया गया, जिसका लक्ष्य ब्रिटिश सरकार को पूरी तरह अनदेखा करना और अवज्ञा करना था। इस आंदोलन के दौरान ही भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को गिरफ्तार कर फांसी दी गई।
भारत छोड़ो आंदोलन
अगस्त 1942 में गांधीजी ने इस आंदोलन को शुरु किया। इसका लक्ष्य ब्रिटिश शासन से पूरी तरह आज़ादी हासिल करना था और यह ‘करो या मरो’ की स्थिति के रुप में सामने आया। तोड़फोड़ और हिंसक घटनाओं की कई वारदातें सामने आईं। अंत में सुभाष चंद्र बोस ब्रिटिश हिरासत से भाग गए और इंडियन नेशनल आर्मी का गठन किया। अगस्त 1947 में भारत को शासकों, क्रांतिकारियों और उस समय के नागरिकों की कड़ी मेहनत, त्याग और निस्वार्थता के बाद स्वतंत्रता हासिल हुई।
स्वतंत्रता संग्राम की समयरेखा
साल | स्थान | घटना | नायक (स्वतंत्रता सेनानी) |
---|---|---|---|
1857 | बरहमपुर | 19वीं इन्फंट्री के सिपाहियों का राइफल अभ्यास से इंकार। | |
1857 | मेरठ | सैनिक विद्रोह | |
1857 | अंबाला | अंबाला में गिरफ्तारी | |
1857 | बेरकपोर | मंगल पांडे का ब्रिटिश अधिकारियों पर हमला और बाद में मंगल पांडे को फांसी दे दी गयी थी. | मंगल पांडे |
1857 | लखनउ | लखनउ में 48वां विद्रोह | |
1857 | पेशावर | मूल सेना का निरस्त्रीकरण | |
1857 | कानपुर | दूसरी केवलरी का विद्रोह सतीचैरा घाट नरसंहार बीबीघर में महिलाओं और बच्चों का नरंसहार | |
1857 | दिल्ली | बदली-की-सेराई की लड़ाई | |
1857 | झांसी | रानी लक्ष्मीबाई का दत्तक पुत्र के हकों को नकारे जाने के प्रति विरोध प्रदर्शन और हमलावर सेनाओं से झांसी को बचाने का सफल प्रयास | रानी लक्ष्मीबाई |
1857 | मेरठ | सिपाहियों और भीड़ द्वारा 50 यूरोपियों की हत्या | |
1857 | कानपुर | कानपुर की दूसरी लड़ाईः तात्या टोपे का कंपनी की सेना को हराना | तात्या टोपे |
1857 | झेलम | देसी सेना द्वारा ब्रिटिश विरोधी गदर | |
1857 | गुरदासपुर | त्रिम्मू घाट की लड़ाई | |
1858 | कलकत्ता | ईस्ट इंडिया कंपनी का खात्मा | |
1858 | ग्वालियर | ग्वालियर की लड़ाई जिसमें रानी लक्ष्मीबाई ने मराठा बागियों के साथ सिंधिया शासकों के कब्जे से ग्वालियर छुड़ाया | रानी लक्ष्मीबाई |
1858 | झांसी | रानी लक्ष्मीबाई की मौत | रानी लक्ष्मीबाई |
1859 | शिवपुरी | तात्या टोपे कब्जे में और उनकी हत्या | तात्या टोपे |
1876 | महारानी विक्टोरिया भारत की साम्राज्ञी घोषित | ||
1885 | बॉम्बे | ए ओ हयूम द्वारा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का गठन | ए ओ हयूम |
1898 | लॉर्ड कर्जन वायसराय बने | ||
1905 | सूरत | स्वदेशी आंदोलन शुरु | |
1905 | बंगाल | बंगाल का विभाजन | |
1906 | ढाका | ऑल इंडिया मुस्लिम लीग का गठन | आगा खान तृतीय |
1908 | 30 अप्रेलः खुदीराम बोस को फांसी | ||
1908 | मांडले | राजद्रोह के आरोप में तिलक को छह साल की सजा | बाल गंगाधर तिलक |
1909 | मिंटो-मार्ले सुधार या इंडियन काउंसिल एक्ट | ||
1911 | दिल्ली | दिल्ली दरबार आयोजित। बंगाल का विभाजन रद्द | |
1912 | दिल्ली | नई दिल्ली भारत की नई राजधानी बना | |
1912 | दिल्ली | लॉर्ड हार्डिंग की हत्या का दिल्ली साजिश मामला | |
1914 | सेन फ्रांसिसको में गदर पार्टी का गठन | ||
1914 | कोलकाता | कोमारगाता मारु घटना | |
1915 | मुंबई | गोपाल कृष्ण गोखले की मौत | |
1916 | लखनउ | लखनउ एक्ट पर हस्ताक्षर | मोहम्मद अली जिन्ना |
1916 | पुणे | तिलक द्वारा पुणे में पहली इंडियन होम रुल लीग का गठन | बाल गंगाधर तिलक |
1916 | ंमद्रास | एनी बेसेंट द्वारा होम रुल लीग का नेतृत्व | एनी बेसेंट |
1917 | चंपारण | महात्मा गांधी द्वारा बिहार में चंपारण आंदोलन शुरु | महात्मा गांधी |
1917 | राज्य सचिव एडविन शमूएल मोंटेगू द्वारा मोंटेगू घोषणा | ||
1918 | चंपारण | चंपारण अगररिया कानून पास | |
1918 | खेड़ा | खेड़ा सत्याग्रह | |
1918 | भारत में ट्रेड संघ आंदोलन शुरु | ||
1919 | अमृतसर | जलियावाला बाग नरसंहार | |
1919 | लंदन में इंपिरियल लेजिसलेटिव काउंसिल द्वारा ोलेट अधिनियम पास | ||
1919 | खिलाफत आंदोलन शुरु | ||
1920 | तिलक का कांग्रेस डेमोक्रेटिक पार्टी गठन | ||
1920 | असहयोग आंदोलन शुरु | महात्मा गांधी | |
1920 | अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस शुरु | नारायण मल्हार जोशी | |
1920 | कलकत्ता | गांधीजी द्वारा प्रस्ताव पारित जिसमें अंग्रेजों से भारत को अधिराज्य का दर्जा देने को कहा गया | महात्मा गांधी |
1921 | मालाबार | मोपलाह विद्रोह | |
1922 | चैरी चैरा | चैरी चैरा घटना | |
1922 | इलाहबाद | स्वराज पार्टी गठित | सरदार वल्लभ भाई पटेल |
1925 | |||
1925 | काकोरी | काकोरी षडयंत्र | रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाकउल्ला खान, चंद्रशेखर आजाद |
1925 | बारडोली | बारडोली सत्याग्रह | वल्लभ भाई पटेल |
1928 | बॉम्बे | बॉम्बे में साइमन कमीशन आया और अखिल भारतीय हड़ताल हुई | |
1928 | लाहौर | लाला लाजपत राय पर पुलिस की ज्यादती और जख्मों के चलते उनकी मौत | लाला लाजपत राय |
1928 | नेहरु रिपोर्ट में भारत के नए डोमिनियन संविधान का प्रस्ताव | मोतीलाल नेहरु | |
1929 | लाहौर | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन आयोजित | पंडित जवाहरलाल नेहरु |
1929 | लाहौर | कैदियों के लिए सुविधाओं की मांग करते हुए भूख हड़ताल करने पर स्वतंत्रता सेनानी जतिंद्रनाथ दास की मौत | जतिंद्र नाथ दास |
1929 | ऑल पार्टी मुस्लिम कांफ्रेंस ने 14 सूत्र सुझाए | मोहम्मद अली जिन्ना | |
1929 | दिल्ली | सेंट्रल लेजिसलेटिव असेंबली में बम फेंका जाना | भगत सिंह, बटुकेश्वर दत्त |
1929 | भारतीय प्रतिनिधियों से मिलने राउंड टेबल कांफ्रेंस की लाॅर्ड इरविन की घोषणा | ||
1929 | लाहौर | जवाहरलाल नेहरु ने भारतीय ध्वज फहराया | |
1930 | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज घोषित किया | ||
1930 | साबरमति आश्रम | दांडी मार्च के साथ सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरु | महात्मा गांधी |
1930 | चिटगांव | चिटगांव शस्त्रागार पर छापा | सूर्य सेन |
1930 | लंदन | साइमन कमीशन की रिपोर्ट पार विचार हेतु लंदन में पहली गोल मेज बैठक | |
1931 | लाहौर | भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी | भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु |
1931 | महात्मा गांधी और लाॅर्ड इरविन द्वारा गांधी इरविन पैक पर दस्तखत | ||
1931 | दूसरी राउंड टेबल बैठक | महात्मा गांधी, सरोजिनी नायडू, मदन मोहन मालवीय, घनश्यामदास बिड़ला, मोहम्मद इकबाल, सर मिर्जा इस्माइल, उसके दत्ता, सर सैयद अली इमाम | |
1932 | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और उसकी सहयोगी संस्थाएं अवैध घोषित | ||
1932 | बिना ट्रायल के गांधी विद्रोह के आरोप में गिरफ्तार | महात्मा गांधी | |
1932 | ब्रिटिश प्रधानमंत्री रामसे मैकडोनाल्ड ने भारतीय अल्पसंख्यकों के लिए अलग निर्वाचक मंडल बनाकर 'सांप्रदायिक अवार्ड' घोषित किया | ||
1932 | गांधीजी ने अछूत जातियों की हालत में सुधार हेतु आमरण अनषन किया जो छह दिन चला | महात्मा गांधी | |
1932 | लंदन | तीसरी राउंड टेबल कांफ्रेंस | |
1933 | अछूतों के कल्याण की ओर ध्यान की मांग पर गांधीजी ने उपवास किया | महात्मा गांधी | |
1934 | गांधीजी ने खुद को सक्रिय राजनीति से अलग किया और सकारात्मक कार्यक्रमों के लिए समर्पित किया | महात्मा गांधी | |
1935 | भारत सराकर अधिनियम 1935 पास | ||
1937 | भारत सराकर अधिनियम 1935 के तहत भारत प्रांतीय चुनाव हुए | ||
1938 | हरीपुरा | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का हरीपुरा अधिवेशन हुआ | |
1938 | सुभाष चंद्र बोस को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया | सुभाष चंद्र बोस | |
1939 | जबलपुर | त्रिपुरी अधिवेशन हुआ | |
1939 | ब्रिटिश सरकार कह नीतियों के विरोध में कांग्रेस मंत्रियों का इस्तीफा। सुभाष चंद्र बोस ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया | सुभाष चंद्र बोस | |
1939 | कांग्रेस मंत्रियों के त्यागपत्र के जश्न में मुस्लिम लीग ने उद्धार दिवस मनाया | मोहम्मद अली जिन्ना | |
1940 | मुस्लिम लीग ने मुसलमानों के लिए अलग राज्य की मांग करते हुए लाहौर अधिवेशन | ||
1940 | लाॅर्ड लिंलीथगो ने अगस्त आॅफर 1940 बनाया जिसमें भारतीयों को उनका संविधान बनाने का अधिकार दिया गया | ||
1940 | वर्धा | कांग्रेस कार्यकारिणी समिति ने अगस्त आॅफर ठुकराया और एकल सत्याग्रह शुरु किया | |
1941 | सुभाष चंद्र बोस ने भारत छोड़ा | सुभाष चंद्र बोस | |
1942 | भारत छोड़ो आंदोलन या अगस्त आंदोलन शुरु | ||
1942 | चर्चिल ने क्रिप्स आंदोलन शुरु किया | ||
1942 | बाॅम्बे | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भारत छोड़ो प्रस्ताव शुरु किया | |
1942 | गांधीजी और कांग्रेस के अन्य बड़े नेता गिरफ्तार | महात्मा गांधी | |
1942 | आजाद हिंद फौज का गठन | सुभाष चंद्र बोस | |
1943 | पोर्ट ब्लेयर | सेल्युलर जेल को भारत की अस्थाई सरकार का मुख्यालय घोषित किया गया | |
1943 | सुभाष चंद्र बोस ने भारत की अस्थाई सरकार के गठन की घोषणा की | सुभाष चंद्र बोस | |
1943 | कराची | मुस्लिम लीग के कराची अधिवेशन में बांटो और राज करो नारा अपनाया गया | |
1944 | मोरेंग | जापान के सहयोग से आजाद हिंद फौज के कर्नल शौकत मलिक ने इस क्षेत्र में अंग्रेजों को हराया | कर्नल शौकत अली |
1944 | शिमला | भारतीय राजनीतिक नेताओं और वायसराय आर्किबाल्ड वेवलीन के बीच शिमला सम्मेलन | |
1946 | दिल्ली | केबिनेट मिशन प्लान पास | |
1946 | दिल्ली | संविधान सभा का गठन | |
1946 | राॅयल इंडियन नेवी गदर | ||
1946 | दिल्ली | नई दिल्ली में केबिनेट मिशन का आगमन | |
1946 | लाहौर | जवाहरलाल नेहरु ने कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभाला | जवाहरलाल नेहरु |
1946 | भारत की अंतरिम सरकार बनी | ||
1946 | दिल्ली | भारत की संविधान सभा का पहला सम्मेलन | |
1947 | ब्रिटिश प्रधानमंत्री क्लेमेंट एटली ने ब्रिटिश भारत को ब्रिटिश सरकार का पूर्ण सहयोग देने की घोषणा की | ||
1947 | लार्ड माउंटबेटन भारत के वायसराय नियुक्त और स्वतंत्र भारत के पहले गवर्नर जनरल बने | ||
1947 | 15 अगस्त 1947 को भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 के तहत भारत के भारत और पाकिस्तान में विभाजन हेतु माउंटबेटन प्लान बनाया गया |
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