सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं
पिताजी ने बेटे को बुलाया पास
शादी तो है बरबादी मत करवाना बेटे,
तुमको किसी तरह मैं शादी से बचाऊंगा।
बेटा मुस्कुराया बोला ठीक फरमाया डैड,
मौका मिल गया तो मैं भी फर्ज ये निभाऊंगा।
शादी मत करवाना तुम कभी जिन्दगी में,
में बिठाया,
बोले आज राज की मैं बात ये बताऊंगा।
मैं भी अपने बच्चों को यही समझाऊंगा।

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

वेदान्त

वेदान्त भारतीय चिन्तन धारा में जिन दर्शनों की परिगणना विद्यमान है, उनमें शीर्ष स्थानीय दर्शन कौन सा है ? ऐसी जिज्ञासा होने पर एक ही नाम उभरता है, वह है-वेदान्त। यह भारतीय दर्शन के मन्दिर का जगमगाता स्वर्णकलश है- दर्शनाकाश का देदीप्यमान सूर्य है। वेदान्त की विषय वस्तु, इसके उद्देश्य, साहित्य और आचार्य परम्परा आदि पर गहन चिन्तन करें, इससे पूर्व आइये, वेदान्त शब्द का अर्थ समझें। वेदान्त का अर्थ- वेदान्त का अर्थ है- वेद का अन्त या सिद्धान्त। तात्पर्य यह है- ‘वह शास्त्र जिसके लिए उपनिषद् ही प्रमाण है। वेदांत में जितनी बातों का उल्लेख है, उन सब का मूल उपनिषद् है। इसलिए वेदान्त शास्त्र के वे ही सिद्धान्त माननीय हैं, जिसके साधक उपनिषद् के वाक्य हैं। इन्हीं उपनिषदों को आधार बनाकर बादरायण मुनि ने ब्रह्मसूत्रों की रचना की।’ इन सूत्रों का मूल उपनिषदों में हैं। जैसा पूर्व में कहा गया है- उपनिषद् में सभी दर्शनों के मूल सिद्धान्त हैं। वेदान्त का साहित्य ब्रह्मसूत्र- उपरिवर्णित विवेचन से स्पष्ट है कि वेदान्त का मूल ग्रन्थ उपनिषद् ही है। अत: यदा-कदा वेदान्त शब्द उपनिषद् का वाचक बनता ...

दक्कन के किसानों का दंगल

दक्कन के किसानों का दंगल औपनिवेशिक बंगाल के किसानों और जमींदारों और राजमहल की पहाड़ियों के पहाड़िया और संथाल लोगों के जीवन जो परिवर्तन आये, हमने पिछले दो लेखो- १.  औपनिवेशिक बंगाल में भूमि बंदोबस्त , २. राजमहल की पहाड़ियों में हल, कुदाल और संथाल  – में देखा। अब दृष्टिपात करें  कि बम्बई दक्कन के देहाती क्षेत्र में क्या हो रहा था। ऐसे परिवर्तनों का पता लगाने का एक तरीका है वहाँ के किसान विद्रोह पर ध्यान कें दित्र करना। ऐसे नाजकु दौर मे विद्रोही अपना गुस्सा और प्रकोपोन्माद दिखलाते हैं वे जिसे अन्याय और अपने दु:ख-दर्द का कारण समझते है उनके खिलाफ़ आवाज बुलंद करते है। यदि हम उनकी नाराजगी के आधारभूत  कारणो को जानने का प्रयत्न करे है और उनके गुस्से की परतें उधेड़ने लगते हैं तो हम उनके जीवन और अनुभव की झलक देख पाते हैं जो अन्यथा हमसे छिपी रहती है। विद्रोहों के बारे में ऐसे अभिलेख भी उपलब्ध होते हैं, जिनका इतिहासकार अवलोकन कर सकते हैं। विद्रोहियों की करतूतों से उत्तेजित होकर और पुन: व्यवस्था स्थापित करने की उत्कट इच्छा से, राज्य के प्राधिकारी केवल विद्रोह को ही दबाने का ...

मानव के पाचन तंत्र आहार नाल और सहयोगी ग्रंथियाँ

मानव के पाचन तंत्र आहार नाल और सहयोगी ग्रंथियाँ भोजन सभी सजीवों की मूलभूत आवश्यकताओं में से एक है। हमारे भोजन के मुख्य अवयव कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन एवं वसा हैं। अल्प मात्रा में विटामिन एवं खनिज लवणों की भी आवश्यकता होती है। भोजन से ई…र्जा एवं कई कच्चे कायिक पदार्थ प्राप्त होते हैं जो वृद्धि एवं ई…तकों के मरम्मत के काम आते हैं। जो जल हम ग्रहण करते हैं, वह उपापचयी प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है एवं शरीर के निर्जलीकरण को भी रोकता है। हमारा शरीर भोजन में उपलब्ध जैव-रसायनों को उनके मूल रूप में उपयोग नहीं कर सकता। अत: पाचन तंत्र में छोटे अणुओं में विभाजित कर साधारण पदार्थों में परिवर्तित किया जाता है। जटिल पोषक पदार्थों को अवशोषण योग्य सरल रूप में परिवर्तित करने की इसी क्रिया को पाचन कहते हैं और हमारा पाचन तंत्र इसे याँत्रिक एवं रासायनिक विधियों द्वारा संपन्न करता है। मनुष्य का पाचन तंत्र चित्र  में दर्शाया गया है। 1 पाचन तंत्र मनुष्य का पाचन तंत्र आहार नाल एवं सहायक ग्रंथियों से मिलकर बना होता है। 1-1 आहार नाल आहार नाल अग्र भाग में मुख से प्रारंभ हो...